Tuesday, August 1, 2017

-----:धूल का फूल:---

इस कविता के माध्यम से एक सच्चे प्रेमी ने दुनिया को आपने एकांत एवं गमगीन रहने के राज को इस तरह व्यक्त किया है I वी.पी.सिंह  
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मै फूल ऐसा हू,जिसे जग भूल न जाये I  
याद में आसू  भला , क्यों  कर  बहाये II   
ऐ धूल कण मेरी कहानी क्या सुनोगे I
बहुत घबरा कर अपना सिर धूनोगे  II
इस लिए हे मन जाओ तुम हठीले ,    
मृत्यु का ताना भला कब तक बुनोगे II
किन्तु ठहरो मत झुकाओ नजरे अपनी I
लो सुनो अब किस तरह हम शूल जाये II 

मै खिला था बाग में खुशिया मिली थी I
बहुत सी कलिया मेरे संग में खिली थी II
रूप आया था मेरे तन पर अनोखा       I
आंख दुनिया की मेरे संग में चली थी  II
गर्भ से मै यो फिरता द्रष्टि अपनी  ,    
ज्यो बिना आधार कोई झूल जाये        II

बहुत आशाए लिए मै जी रहा था       I
आन कर भवरा मेरा रस पी रहा था   II
तितलिया आती अनेको पास मेरे ,
रंग-बिरंगे स्वप्न मानों सी रहा था     II
किन्तु अपने भाग्य की किस को पता है I
कब न जाने भाग्य तर टूट जाये  II

एक बच्चे ने मेरी गर्दन दबा दी I
डाल के आधार की आशा मिटा दी  II
तोड़ कर लाया बगीचे से मुझे वो ,
धूल में फैका मेरी हस्ती मिटा दी II
भूलना चाहा बहुत पिछले दिवस को,
बहुत कोशिश की मगर न भूल पाये II 
मै फूल ऐसा हू,जिसे जग भूल न जाये I
याद में आसू  भला, क्यों  कर  बहाये II   

                                                               वी.पी.सिंह

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