इस कविता के माध्यम से एक सच्चे प्रेमी ने दुनिया को आपने
एकांत एवं गमगीन रहने के राज को इस तरह व्यक्त किया है I वी.पी.सिंह
------:धूल का फूल:----
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मै फूल ऐसा हू,जिसे जग भूल न जाये I
याद में आसू भला , क्यों कर
बहाये II
ऐ धूल कण मेरी कहानी
क्या सुनोगे I
बहुत घबरा कर अपना सिर
धूनोगे II
इस लिए हे मन जाओ तुम
हठीले ,
मृत्यु का ताना भला कब
तक बुनोगे II
किन्तु ठहरो मत झुकाओ
नजरे अपनी I
लो सुनो अब किस तरह हम
शूल जाये II
मै खिला था बाग में
खुशिया मिली थी I
बहुत सी कलिया मेरे संग
में खिली थी II
रूप आया था मेरे तन पर
अनोखा I
आंख दुनिया की मेरे संग
में चली थी II
गर्भ से मै यो फिरता द्रष्टि अपनी
,
ज्यो बिना आधार कोई झूल
जाये II
बहुत आशाए लिए मै जी
रहा था I
आन कर भवरा मेरा रस पी
रहा था II
तितलिया आती अनेको पास
मेरे ,
रंग-बिरंगे स्वप्न
मानों सी रहा था II
किन्तु अपने भाग्य की
किस को पता है I
कब न जाने भाग्य तर टूट
जाये II
एक बच्चे ने मेरी गर्दन
दबा दी I
डाल के आधार की आशा
मिटा दी II
तोड़ कर लाया बगीचे से
मुझे वो ,
धूल में फैका मेरी
हस्ती मिटा दी II
भूलना चाहा बहुत पिछले
दिवस को,
बहुत कोशिश की मगर न
भूल पाये II
मै फूल ऐसा हू,जिसे जग भूल न जाये I
याद में आसू भला, क्यों कर
बहाये II
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