Wednesday, November 13, 2013

तुम्हारी ज़ुल्फ़ चहरे पर ठहर जाती

तुम्हारी ज़ुल्फ़ चहरे पर ठहर जाती तो अच्छा था 
अगर ये ईद का ऐलान करवाती तो अच्छा था
 

दिखा करती है बेकल चांदनी जो बाम पर तन्हा 
किसी दिन काश जीने से उतर आती तो अच्छा था
 

तूने बिगाड़ा है हमें
 खुद  नयनों  के बाणो से  
सुधरने की भी कुछ सूरत नज़र आती तो अच्छा था 

तलातुम* में अगर तुम एकदम मुझसे लिपट जाते                                         
तो फिर आवर्त्त में कश्ती उतर जाती तो अच्छा था          

है काले घने बादल,ठंढी बयार साथ होते तुम मेरे             
इसी दम कहर हम पर वर्क़ अगर ढाती तो अच्छा था

रक़ीबों के ज़रीये भेजकर तुम जिसको हो
  सानन्द                    
हमारे पास तक वो बात अगर आती तो अच्छा था
  

तेरी खातिर रफ़ाक़त* कर तो लूं मैं  दुश्मनों से भी                
मेरी हालत  पर तेरी आँखे भर आती तो अच्छा था
                                                                        
                                                                                V.P.Singh
                                                                                 11.11.013     
                                                                                                          1*लहरों के हिचकोले                                                                                       2 *दोस्ती 

रस्म-ए-उल्फत

-:रस्म-ए-उल्फत :-
रस्म-ए-उल्फत,खुशी से हम निभाते चले गए I
ईश्क के साज पर, वफा के गीत गाते चले गए I
न जाने कैसे ! हसरतों का एक तार टूट गया  I
उंगलियों को,बेफिक्र लहूलुहान बनाते चले गए I
ज़ख्मों की कैद मे,दिल किसी तरह धडक रहा है I
 हम इसमे,दर्द की फूंक, बेखौफ मारते चले गए I
गालिब ने कहा था,ईश्क,आतिश -ए-दरिया है I
 इस आग मे हम अपने को,जलाते चले गए I
ऐ मेरे हमनवां तुम दूर ही रहना,प्यार के इस खेल से I

मेरी सजा तुम हंस-हंस कर बढाते चले गए I
                
                                                   V.P.Singh

Wednesday, April 10, 2013

सत्ता के हस्तांतरण की संधि (Transfer of Power Agreement) By V.P.Singh



सत्ता के हस्तांतरण की संधि ( Transfer of Power Agreement ) यानि भारत के आज़ादी की संधि । यह इतनी खतरनाक संधि है कि अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या साजिस को जोड़ देंगे तो उससे भी ज्यादा खतरनाक संधि थी ।उस14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ वो आजादी नहीं बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में हुआ था ।Transfer of Power और Independence  यानी सत्ता का हस्तांतरण और स्वतंत्रता ये दो अलग- अलग चीजे है । सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे की जब एक पार्टी की सरकार चुनाव में हार जाती है, तो दूसरी पार्टी की सरकार आती है । जब दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री शपथ ग्रहण करता है, तो वह शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है । जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है । उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है ,और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है ।
यही नाटक 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे हुआ था । जब लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया है । कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था? यह भी समझ लीजिये । अंग्रेज कहते थे की हमने स्वराज्य दिया,यानि अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे । ये अंग्रेजो की Interpretation (व्याख्या) थी और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया है । इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए । Dominion State का हिंदी में शाब्दिक अर्थ एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य होता है । भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है ।अंग्रेजी में इसका अर्थ है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दूसरा "Dominance or power through legal authority” Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है ।मतलब सीधा है कि आज भी हम (भारत और पाकिस्तान) अंग्रेजों के अधीन ही हैं ।
दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया । ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इस का कानून अंग्रेजों की संसद में बनाया गया और इसका नाम Indian Independence Act रखा गया यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून । अगर ऐसे धोखाधड़ी से इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? इसीलिए महात्मा गाँधी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे । वो नोआखाली में थे कांग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे की बापू आप चलिए ।गाँधी जी ने मना कर दिया था क्योंकि? गाँधी जी कहते थे की मै मानता ही नहीं की कोई आजादी आ रही है ।गाँधी जी ने स्पष्ट कह दिया था की ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी ।उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि
“मै हिन्दुस्तान के उन करोड़ों लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी आ रही है, ये मै नहीं लाया । ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है । मै मानता नहीं  की इस देश में कोई आजादी आई है”। भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था । क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे । 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में लागू हुआ था ।
अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों का जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है ...............
इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन हैं । एक शब्द आप सब सुनते हैं Commonwealth Nations अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप को याद होगा और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है । Commonwealth का मतलब समान सम्पति होता है । किस की समान सम्पति? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है । हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है । Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं ।
· मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है । Commonwealth Nations में हमारी जो एंट्री है वो एक Dominion State के रूप में है न कि Independent Nation के रूप में । इस देश में यह प्रोटोकोल है । जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है । यह  है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने कि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं । एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता । एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे की कैसे- कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है ।

इस संधि की शर्तों के मुताबिक भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा । हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में यह इंडिया है । संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है "India that is Bharat " जब कि होना ये चाहिए था "Bharat that was India" लेकिन दुर्भाग्य इस देश का कि यह भारत की जगह इंडिया हो गया । यह इसी संधि की शर्तों में से एक है । हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है । कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स की बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से और पीछे ही होता जा रहा है ।
शर्तों के मुताबिक भारत की संसद में 50 वर्षों तक यानि 1997 तक वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा । सन 1997 में राजीव दीक्षित के कहने पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया । 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है । वन्देमातरम को लेकर मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था ।इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये । आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर ।
· इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था ।यही वजह रही की सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है । समय- समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई ।मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया । आप सब लोगों को मालूम है सुभाष चन्द्र बोस ने 1942 में आजाद हिंद फौज बनाई थी लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था । जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था । दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे । जर्मन की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे । एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था । इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के कट्टर दुश्मन थे ।
- इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में बहुत दिनों तक पढाया जाता था । अभी कुछ महीने पहले तक CBSE बोर्ड  की किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था,भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया । सन 1940 में इंडियन एजुकेशन एक्ट पर चर्चा करते समय लोर्ड मैकोले ने कहा था कि "हिंदी भाषा भारत की रीढ़ की हड्डी है और हमें इसे तोडना है"। भारत दुनिया में एक अनोखा देश है जिसकी कोई राष्ट्र भाषा नहीं है क्योंकि इस संधि की शर्तों के मुताबिक हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्थान नहीं दिया जायेगा और आधिकारिक भाषा अंग्रेजी ही रखी जाएगी ।
- आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे "व्हीलर बुक स्टोर" वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है । ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था । इसने इस देश की हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था । इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी । सन 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा । इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी । भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम ही बदल देते । लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है |

· इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा । इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था (Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |
· इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे जैसे शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे । आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं । लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है ,वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला कि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं । आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे । गुजरात के सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम कूपर विला है । अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था । गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है ।

हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे  की बात ये है कि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक अलग शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म की शिक्षा व्यवस्था रखी है । हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है । मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा की तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है । जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा । नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है । हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है । ये जो 33 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था की देन है, मतलब ये है कि आप भले ही 67 नंबर से फेल है लेकिन 33 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गधे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे  । आप देखते होंगे की हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों की मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है । यह अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज भी यह इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक की सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है ।
- इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी । आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए । दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है की आप बीमार ही मत पड़िए । आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ - अमेरिका का पहला राष्ट्रपति जोर्ज वाशिंगटन दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा की इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है ।  इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों की नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया । यह घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख कर गया था । कहने का मतलब यह  है कि उस समय हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था । ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है ।
· इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा । हमारे देश की समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे । अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था ।


                                                                                             V.P.Singh

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Wednesday, March 6, 2013

Mayawati’s Government and highest atrocities on Dalit in Uttar Pradesh

Mayawati’s Government and highest atrocities on Dalit in Uttar Pradesh
By
V.P.Singh

Four years ago on13 June 2007 of fourth terms, in Uttar Pradesh Chief Minister Mayawati was sworn when the highest Dalit population state was wave of happiness .The total population of state is 1,652,859 million out of 35,148,377 million Dalit is the 21.5%.All Dalit voted drawing through one side to Mayawati thinking that will get of former government punk rule and their respect-values and protect the dignity of their women’s.

Then it was thought that given to the agricultural and residential lease to the Dalit, and Dalit persecution, remain work, incomplete case in which they will be quickly resolved and for the uplift of Dalits work will round the clock.
Today way to Mayawati’s, it’s surrounded by flatters the Dalit of this state feeling yourself today - is a bit beaten.

Mayawati's trends are working against Dalit the state in all districts of Dalit women raped, abducted and beaten for being increasing cases.
It’s true proves recently published by National Crime Records Bureau Report in 2009 crime with Dalits in Uttar Pradesh the figures have of the various types of crime are given :-

Crime against Scheduled Castes/Scheduled Tribes

INCIDENCE RATE:

SC ST SC ST

2008 : 33,615 2008 : 5,582 2008 : 2.9 2008 : 0.5

2009 : 33,594 2009 : 5,425 2009 : 2.9 2009 : 0.5


Uttar Pradesh reported 22.4% of total crimes against Scheduled Castes (7,522out of 33,594) and Rajasthan reported 21.8% of total (1,183 out of 5,425) crimes against Scheduled Tribes in the country. The highest state of crime against Dalit in the Mayawati’s government.

Rape:
(Incidence…1,346
)

A total of 1,346 cases of rape of women belonging to scheduled castes were reported in the country as compared to 1,457 cases in 2008 thereby
Reporting a decrease of 7.6% in 2009 over 2008. Madhya Pradesh has reported 321 cases accounting for 23.8% of the total cases reported in the country followed by Uttar Pradesh 317 cases (23.6%).

Kidnapping & Abduction:
(Incidence…512)

A total of 512 cases of Kidnapping & Abduction of Scheduled Castes were reported during the year 2009 as compared to 482 cases in 2008 thereby reporting an increase of 6.2%. Uttar Pradesh has reported 254 (49.6%) cases during 2009.

Murders:
(Incidence…624)
A total of 624 cases were reported in the country during 2009. U.P. has accounted for 37.7% of the total Murder cases reported in the country i.e. 235 out of 624. Here also U.P. is on the top.
Arson:
(Incidence…195)Country-wide 195 cases of Arson were reported in 2009 as compared to 225 cases in the year 2008 reporting a decrease of 13.3% during 2009. Bihar has reported the highest 40 number of cases followed by Rajasthan (39) and Uttar Pradesh (38) and Madhya Pradesh (31). These four States together have accounted for 75.9% of total cases reported in the country

Protection Civil Rights Act:A total of 168 cases were reported in 2009. U.P. has reported the highest 61 number of cases followed by Andhra Pradesh (39). These two states accounted for 59.5% of total cases reported in the country.

SC/ST Prevention of Atrocities Act:
A total of 11,143 cases were reported under this Act in 2009. U.P. has reported 2,554 cases accounting for 22.9% of the total cases in the country followed by Bihar (22.7%).
The report also found that apart from crimes under the 1989 act, overall crime rate against the Scheduled Caste members increased 10.2 percent in 2007, with Uttar Pradesh reporting 20.5 percent of all cases in India.
Now it becomes imperative to find out the reasons for the high incidence of crime against Dalits in U.P. “Dalits are being used by political parties in Uttar Pradesh for votes. The state government does not have any welfare agenda for the weaker sections of society. In fact, the atrocities have increased against every section of society.” Dalits is an umbrella term often used for members of both SCs and STs.
“The people in the government are themselves involved in crime against every section of society. The recent case of murder of an engineer by a Bahujan Samaj Party legislator shows this very clearly,”
The first reason is that unfortunately the implementation of the laws relating to registration and investigation of cases relating to atrocities on Dalits are not being implemented properly. The obsession of the present Chief Minister to show a decrease in crime against Dalits is giving leverage to the police for non registration of cases. This leads to burking of atrocity crimes which can be seen from the frequent complaints of non registration of cases appearing in the daily news papers. The crime review based on crime statistics forces the police to keep the crime figures low to put up a crime control picture. The result is that the statistics given out by the police are only a fraction of the actual incidence of crime. Thus the Dalit atrocities remain unaccounted and uncared for making the victims to suffer haplessly.
The second reason is non application of the SC/ST Prevention of Atrocity Act-1989 to the crimes committed against Dalits. It is well-known that Mayawati had stopped the application of this Act in 1997 under the pretext of checking its misuse. Actually it was a ploy to please her high caste followers who frequently resort to such atrocities. She had issued arbitrarily a government order to this effect. She directed the police to apply this Act in murder and rape cases only and that too after medical examination and preliminary enquiry. All other atrocity cases were ordered to be registered under normal laws i.e. Indian Penal Code and other Acts. Although this order was withdrawn in 2003 but the practice continues unabated. The victims have to approach the court frequently to get their cases registered. Only a few victims are able to take help from the court and majority fails to get this relief. Thus a very large number of atrocity cases go unregistered under this Act. The result is that the culprits go scot free and the victims get no help from police. The non registration of atrocity cases results in double loss to the victims. Firstly the culprits are not punished and secondly Dalits get no monetary compensation as admissible under the rules for the loss suffered by them. Thus Dalits suffer a double jeopardy.
Thirdly the policy of pleasing the Sarvjan (high castes) followed by Mayawati makes her lenient towards them. It is true that a large number of persons with criminal records have joined Bahujan Samaj Party (BSP) and have become MLAs and MPs. At present about a dozen MPs and MLAs of the ruling party (BSP) are involved in rape and abduction cases which mostly concern Dalit women and girls. Police is generally afraid of touching these influential persons. Only such cases get registered which get exposed in media and the government has to yield to public pressure.
The above figures present at the Mayawati government's work style is enough to question. Protection of Dalit women from the government must immediately take effective steps. While the time here ignored the Assembly elections due in 2012 will suffer of this consequences.
The above brief discussion it transpired that U.P. tops in atrocities against Dalits notwithstanding the fact that it is being ruled by a Dalit Chief Minister for the fourth term and she is about to complete her fourth year in chair. But the atrocities against Dalits are going on unabated. The outburst of women and Dalits against Mayawati during her recent field visits is an indicator that Maywaati has failed to bring relief to Dalits and common citizens. It may lead to a backlash during the coming Assembly elections in 2012.
v.p.singhE-mail:vpsingh65@blogspot.com

Monday, February 18, 2013

जेल भरे क्यूँ बैठे हैं हम



जेल भरे क्यूँ बैठे हैं हम, आदमखोर दरिंदों से
भारत माँ का दिल घायल है, जिनकेगोरखधंधों से
घाटी में आतंकवाद के, कारक सिद्ध हुए हैं जो
बच्चों की मुस्कानों के, संहारक सिद्ध हुए हैं जो
उन जहरीले नागो को,भी दूध पिलाती है दिल्ली
मेहमानों जैसी बिरयानी-मटनख
िलाती है दिल्ली
आज समय है उत्तर,देना ही होगा सिंहासन को
चीरहरण की कौन इजाजत, देता है दुशाशन को
जिनकी जहरीली साँसों, में आतंकों की आँधी है
उनको जिन्दा रखने में, दिल्ली असली अपराधी है
जब पूरा जीवन पीड़ा के, दामनमें ढल जाता है
तब सारा राजतन्त्र ,अगनि में जल जाता है
जिस दिन भूख बगावत वाली, सीमा पर आ जाती है
उस दिन भूखी जनता क्रोध में,शासन को खा जाती है
राजमुकुट पहने बैठे हैं, बर्बरता के अपराधी
ये दुश्मन भारत माँ के खाते ना रोटी आधी
हम ऐसे ताजों को अपनी ठोकर से ठुकरायेंगे
बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे
                        जय हिंद   V.P.Singh

राजा की लाचारी



ओ दिल्ली के सिंहासन अपनी गरिमा को याद करो
नहीं किसी के आगे जग में अब जाकर फ़रियाद करो
ख़ाक पाक को कर सकते थे उसकी ही चिंगारी से
पर भारत ही सुलग रहा है तेरी इस लाचारी से ....
शीश झुकाए पड़ी हुई है भारत की तलवार कहीं
अर्जुन के गांडीव की अब घायल है टंकार कहीं
भगत सिंह का आज कहीं बलिदान सिसकता दिख
रहा
चन्द्र शेखर की पिस्टल का बारूद बिखरता दिख रहा
8 जनवरी 13 को मेढ़र में जुल्म गुजार दिए
दो जवानो के दुश्मन ने धड से शीश उतर दिए   
काश कि हम यह इतिहासों का दर्द बाँट कर ला पाते ...
दो बेटों के सर के बदले बीस काट कर ला पाते
ओ दिल्ली के राजा अब तुम लाचारी का त्याग करो
दुश्मन के सीने पर अब तुमएक नहीं सौ वार करो
                             जय हिंद   V.P.Singh