तुम्हारी ज़ुल्फ़
चहरे पर ठहर जाती तो अच्छा था
अगर ये ईद का ऐलान करवाती तो अच्छा था
दिखा करती है बेकल चांदनी जो बाम पर तन्हा
किसी दिन काश जीने से उतर आती तो अच्छा था
तूने बिगाड़ा है हमें खुद नयनों के बाणो से
अगर ये ईद का ऐलान करवाती तो अच्छा था
दिखा करती है बेकल चांदनी जो बाम पर तन्हा
किसी दिन काश जीने से उतर आती तो अच्छा था
तूने बिगाड़ा है हमें खुद नयनों के बाणो से
सुधरने
की भी कुछ सूरत नज़र आती तो अच्छा था
तलातुम* में अगर तुम एकदम मुझसे लिपट जाते
तलातुम* में अगर तुम एकदम मुझसे लिपट जाते
तो
फिर आवर्त्त में कश्ती उतर जाती तो अच्छा था
है काले घने बादल,ठंढी बयार साथ होते तुम मेरे
इसी दम कहर हम पर वर्क़ अगर ढाती तो अच्छा था
रक़ीबों के ज़रीये भेजकर तुम जिसको हो सानन्द
हमारे पास तक वो बात अगर आती तो अच्छा था
तेरी खातिर रफ़ाक़त* कर तो लूं मैं दुश्मनों से भी
मेरी हालत पर तेरी आँखे भर आती तो अच्छा था
है काले घने बादल,ठंढी बयार साथ होते तुम मेरे
इसी दम कहर हम पर वर्क़ अगर ढाती तो अच्छा था
रक़ीबों के ज़रीये भेजकर तुम जिसको हो सानन्द
हमारे पास तक वो बात अगर आती तो अच्छा था
तेरी खातिर रफ़ाक़त* कर तो लूं मैं दुश्मनों से भी
मेरी हालत पर तेरी आँखे भर आती तो अच्छा था
V.P.Singh
11.11.013
1*लहरों के हिचकोले 2
*दोस्ती