----------:आँख को जाम लिखो:----------
आँख को जाम लिखो ज़ुल्फ़
को बरसात लिखो
जिस से नाराज़ हो उस
शख्स की हर बात लिखो
जिस से मिलकर भी न
मिलने की कसक बाक़ी है
उसी अनजान शनासा की
मुलाक़ात लिखो
जिस्म मस्जिद की तरह,आँखें नमाज़ो न जैसी
जब गुनाहो में इबादत
की,वो दिन -रात लिखो
इस कहानी का तो अंजाम
वही है जो था
तुम जो चाहो तो मुहब्बत
की शुरुवात लिखो
जब भी देखो उसे अपनी
नज़र से देखो
कोई कुछ भी कहे तुम
अपने खयालात लिखो
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