Monday, June 13, 2011

उत्तर प्रदेश इलेक्शन २००७ हाथी की अंधी

माया जी ने जाल में सबको लिया फसाय
सतीश मिश्र,नसीमुद्दीन खूब रहे हर्षाय
खूब रहे हर्षाय बहुमत हाथी लाया
हिन्दू-मुस्लिम गठबंधन का ये फल पाया
साईकिल को दिया तोड़ लखनऊ को हाथी धाया
सब लोगो को साथ में लेकर शासन पाया II1II
यह गठबंधन देख कर मुलयम हुए बैचैन
यू.पी. इलेक्शन में साईकिल की उतर गई है चैन
उतर गई है चैन अमरसिंह हो गये है बीमार
बच्चन भैय्या भी नैय्या को लगा सके न पर
" है यू.पी.में दम" क्राईम यहाँ कम यह हमे बतलाना
निठारी कांड की फाइल साथ अपने ले आना II2II
कई जगहों पर बम्ब फटे कई जगह ही गये दंगे
नॉएडा की जमीन बेच कर खा गये भूखे नंगे
खा गये भूखे नंगे फिर भी हुए नहीं लाचार
जो औरत बच्चो पर बीती उसको लेओ निहार
ये सब होने से मुलयम जी चली गई सरकार
गुंडों का हर जगह जमा था यू.पी. में अधिकार II3II
चुनाव हुए निषपक्ष चला नहीं कही आप जोर
कविता व मधुमिता कांड ने खूब मचाया शोर
चार मंत्री फंसे तुम्हारे चला नहीं कोई जोर
चला नहीं कोई जोर दिया राजू का कत्ल कराय
शिवपाल भाई आप का तुमको रहा हरवाये
सलाह मान लो मेरी तुम करदो इन्हें किनारे
वर्ना तुम को दिखला देगे ये दिन में ही तारे II4II
गिझौड कांड भी याद तुम्हे इस वक्त नहीं अब होगा
ली जमीन छीन डंडे पिलवाये वह बीज हर के बो गया
निठारी कांड के बच्चो का क्या दर्द तुम्हे अब होगा
कातिल कत्ल करे थे जब जा सैफई में सो गया
भैय्या शिवपाल आ नॉएडा बयान उलटे दे गया
माया ने लिया राज छीन अब क्यों रोए क्या होग II 5 II
फूल कमल को लोगो ने अब बना दिया है 'फूल'
राजनाथ,कल्याण, केशरी की राहों में शूल
हे राहों में शूल करे क्या अटलबिहारी
मोदी, अडवानी के कारण भाजपा हारी II 6 II
बजा कमंडल डमरू तुमने भर दिया एक बार जोश
सत्तर करोड़ चंदा खा कर भी कहते हो निर्दोष
घर तुमसे न बना राम का लगा राम का दोष
तीन हजार लोग यू.पी. में मरवाये निर्दोष
कारगिल में घुसपैठ करा ली बैठे रहे मदहोश
सात हजार फौज मरवाकर बैठ गये खामोश II 7 II
सरकारी खर्चे से जब तुम पाकिस्तान को जाते हो
सच्चा देश भक्त जिन्ना को वहा पर कहकर आते हो
भारत में रहकर भी तुम हिन्दू-मुस्लिम लड़वाते हो
इसी लिए तुम लालकृष्ण जी लडवानी कहलाते हो
प्रधानमंत्री की इच्छा है इसी लिए नहीं बन पाते हो II8II
अटलबिहारी अब सय्या लेट गये खामोश
अडवाणी सत्ता पाने को जनता में भर रहे जोश
सदा चढे न काट की हांड़ी कहते आये सब
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई सब का एक ही रब
सब का एक ही रब अटल जी इन्हें बताओ
सत्ता पाने के लिया तुम मत झगडे करवाओ II 9 II
हाथ मिलाया हाथ से कम न आया हाथ
रोड सो गये भूल सभी खा गये राहुल जी मात
खा गये राहुल जी मात साथ में आ गई माता
लोग रहे है पूछ देश से क्या है नाता
तुम कहती हो भारत की मै बहू बिहाता
जब होते है चुनाव देश में बहुमत क्यों नहीं आता II 10 II
पासवान के पासे भी हुए यू.पी. में फैल
भागने पाये अमर,मुलायम करवा दूंगी जेल
करवा दूंगी जेल याद माया को आया
झोपडी और लालटेन वाला भी अब यू.पी. में आया
तोड़ी झोपडी फोड़ी लालटेन गज ने सूंड बढ़ा कर
विकास किया बदमाशी खत्म की माया ने सत्ता पाकर II11 II
वी.पी. सिंह कहे भाईओ सब मिल-जुल कर रहना
कोई बड़ा न कोई छोटा यह सभी धर्मो का कहना
नेता और पार्टी की अंधी में कभी नहीं तुम बहना
नेता सब जनता के दुश्मन इमानदार कोई है ना
मै देश भक्त हू भारत का ये हर नेता का कहना
ये सब ढोंगी पाखंडी बैठे ये हर जन-जन का कहना II 12 II

v.p.singh
Mob.09971224023

--:दर्दे-दिल:--

अब दिल कि तरफ दर्द कि यादगार बहुत है I
इस दुनिया में जख्मो कि तलबगार बहुत है I
अब टूट रहा है मेरी हस्ती का तसुब्बुर ,
इस वक्त मुझे तुमसे सरोकार बहुत है I
हर सांस उखड जाने कि कोशिस में परेशां I
मेरे सीने में कोई है जो गिरफ्तार बहुत है I
पानी से उलझते हुए इस इन्शान का शोर I
उस ओर भी होगा मगर इस ओर बहुत है I
मिट्टी कि यह दीवार कही टूट न जाये ,
रोको ! कि मेरे खून कि रफ़्तार बहुत है I
तेरे बिछुड़ने की जुदाई सताती है हर वक्त I
ऐसा लगता है मुझे तुमसे प्यार बहुत है I
v.p.singh 5.3.1981
शेर :-
हँसना आया तो लबों ने साथ छोड़ दिया I
रोना आया तो अश्को ने साथ छोड़ दिया I
हालत यह हुई कि जनाजा तैयार हुआ ,
इस मुकाम पर भी कंधनो ने साथ छोड़ दिया I

जीवन की चार बाते

मैंने हर हर को जीत समझा I
धूप की तपन को शीत समझा II
हार से क्यों मायूस होऊ,
हार को जीवन का गीत समझा II
बेदर्द जमाने का बहुत ख्याल हुआ I
यहाँ खुला मोहब्बत का बाज़ार हुआ II
क्यों जमा खर्च में लगे रहते है लोग,
जीवन न हुआ गणित का सवाल हुआII
कांच सा मन तोड़ गया कोई I
किरचों को यहाँ छोड़ गया कोई II
आखिर में बहला फुसला कर मुझे,
अनाम रिश्तो से जोड़ गया कोई II
जिन्दगी बेनाम रिश्ता हो गई I
दर्द प़ी जग़ का फ़रिश्ता हो गई II
मुस्कराकर दर्द को धोखा दिया,
पीर मन की सु कविता हो गईII

शेर:- कहानी तुमने कैसी की, कहां से फिर कहा ठहरी I
शुरु मेरा एक आंसू था, अंत की आह तेरी थी II

वी.पी.सिंह

-:आज का स्टुडेंट:-

आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक निकलती है अंग्रेजी सेन्ट की II

उठाकर सुबह जला कर सिग्रेट हवन खाट पर करते है
गर्म चाय के प्याले आकर आलस्य इनका हारते है
रोज रगड़ते है जूतों पर पालिस ये पैटेंट की II1II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक..............................
आँखों पर ये लगा अँगौठे पढने में शर्माते है
सौ में से चालीस नंबर ये सालाना में लाते है
रोज रगड़ते है चहरे पर क्रीम ये फेयर फास्ट की II2II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक..............................

जल्दी जाते है कालिज को देर शाम को आते है
रंग-बिरंगी शर्ट खरीदे पेंट जींस की लाते है
रोज बदलते कपडे ये क्रीच ना टूटे पैन्ट की II3II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक..............................


उलटी सीधी ड्रेस पहन कालिज रोजाना जाते है
नये-नये दोस्त रोज लेजा होटल में बैठे पाते है
टिक्की और समोसे खाते ले जाकर ये फ़ीस की II4II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक..............................

क्लास अटैंड करे जब भी मोबाइल हाथ में रखते है
अध्यापक कुछ कह दे इनको तुरंत ठीक ये करते है
क्लास रूम में बात करे ये अपनी गर्ल फ्रेंड की II5II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक..............................

लम्बी-लम्बी जुल्फ रखा ये उन पर हाथ फेरते है
नये बहाने बना रोज ये घर से पैसे ठगते है
दारू ठर्रा ये पीते है सिग्रेट गोल्ड फ्लैक की II6II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक..............................

वी. पी. सिंह कहे ये करने से कुछ नहीं मिलने वाला है
भारत की खुशहाली में यू लगे दाल में काला है
पान चबाते मुंह से खुशबु आती पिपरमेंट  की II7II
आओ भाई तुम्हे दिखाये झाँकी स्टुडेंट की I
कपड़ो में से महक निकलती है अंग्रेजी सेन्ट की II

V.P.Singh
7.6.2007

-:एक गजल उनके नाम:-

वही बाते,वही यादे,वही बादल,वही खुश्बू यहाँ I
एक अरसे से न कोई हादसा गुजरा यहाँ I
अपनी यादो की विरासत अपने जो दी मुंझे ,
है न मर्जी के मुताबिक एक भी लम्हा यहाँ I
रोशनी को रात भर बैचैन रहने दो जरा ,
एक घयल चाँद का कुछ खून है बिखरा यहाँ I
उड़ रहा है जख्म इस फूल से उस फूल तक ,
सनसनी फैला रहा है दर्द का भवर यहाँ I
आप की इच्छाओ की हो तरक्की रात-दिन ,
हर प्रशंसक है शुरू से ही अजी बहरा यहाँ I
वी.पी.सिंह को अपने गम की है नहीं परवाह जरा,
जी रहा हर एक इंसा जख्मो का मारा यहाँ I
v.p.singh
2.2.1980
शेर:-
किसी की आस पर जीने में क्या रखा है I
किसी को दर्दे दिल सुनाने में क्या रखा है II
आदत सी पद गई है उदास रहने की,
वर्ना उदास रहने में क्या रखा है II

शेर:-
मौत का गम नहीं मुंझे गम है तू मेरे घर नहीं है I
तेरी अँगोस में ज़ा निकले ऐसा मेरे मुकद्दर नहीं है I
कुछ तो आंसू निचोड़ दो अपने हुस्न मिल जाये लाश को मेरी,
डाल दो खूने अंचल का टुकड़ा मेरी मय्यत पर चादर नहीं है I

***:भारत के नेता एवं उनके घोटाले:**

घोटाले पर घोटाले जिस देश के नेता करन लगे I
क्या जीना यहाँ पशुओ का अब नेता चारा खान लगे I
बोफोर्श दलाली कर कवत्रोची,राजीव गाँधी चले गये
टेलीफोन में ए.राजा बारह सौ करोड़ डकार गये
नरसिम्हाराव ढाई अरब का खाकर यूरिया पचा गये
अब क्या बचा देश के अन्दर इस का सौदा करन लगे II1II
घोटाले पर घोटाले जब देश के नेता करन लगे.................
शीला कौल जब बनी गवर्नर, जमीन बेच कर चाट गई
पैसठ करोड़ का कर घोटाला अपनों को बाँट प्लाट गई
कलमंडी कोमनवेल्थ में सब का तोड़ रिकॉर्ड गये
बहत्तर अरब का घोटाला कर जेल सभी को भेज गये
क्या विश्वास करे इन पर ये मोटे चाडे करन लगे II2II
घोटाले पर घोटाले जब देश के नेता करन लगे.................
पशुओ का राशन खा-खा कर लालू ने सेहत बना लई
पांच अरब का घोटाला कर मुख्यमंत्री रावड़ी बना लई
जयललिता ने घोटाले कर अपनी धाक जमा लई
इधर-उधर से कर अपनी दस अरब की कीमत बना लई
भारत के पाखंडी नेता अब स्वीच खातो को भरन लगे II3II
घोटाले पर घोटाले जब देश के नेता करन लगे.................
छ: महीनो में चन्द्रशेकर भी मोटा पैसा काट गये
चालीस कुन्तल सोने को खा कर हिंगोली पचा गये
सतीश शर्मा पांच अरब का पी कर पैट्रोल भाग गये
चावल,चीनी,गुड, घी खा कर रेल के पत्थर पचा गये
मंत्री, एम.पी.,एम.एल.ए. अब सब घोटाला करन लगे II4II
घोटाले पर घोटाले जब देश के नेता करन लगे.................
छ:सौ अरब का विदेशी कर्जा देश को दे कर भाग गये
कुछ बैठे है भारत में कुछ यम के लोक सिधार गये
देश की जनता को पाखंडी दे महगाई मर गये
रोज नई सरकार बने इन्हें वोट दे-देकर हर गये
वी.पी. सिंह कहे भारत में अब गधे नास्ता करन लगे II5II
घोटाले पर घोटाले जब देश के नेता करन लगे I
क्या जीना यहाँ पशुओ का अब नेता चारा खान लगे I
वी.पी. सिंह
14.4.2011

-:देश की अस्मिता:-

हे भारत पुत्र, भारत वंशी,हे भारत माँ के नौजवान
उठ ललकार खड़ा हो जा, सब शानों-शौकत मिट जायेगी I
अस्मिता देश की मिट जायेगी,यदि नीद तुझे अब आयेगी II

तू मित्र समझता है जिसको,वे ताक लगाये बैठे है I
तेरी ताकत को कम करने की,फँस लगाये बैठे है I
हम बाँट जायेंगे टुकड़ो में भारत माँ छोटी हो जायेगी II1II
अपनेपन का बजा के डंमरु आपस में मरवा देगा I
गर्दन, बाजू कटवा कर हमे टुकड़ो में बंटवा देगा I
हे नीति नियामक देशी नेता जनता कहाँ ये जायेगी II2II
आंख खोल कर देख इन्हें सब दुश्मन तेरे बैठे है I
तेरी देख तरक्की को ये जले भुने अब बैठे है I
गाँधी वादी बनकर के दुविधा में फ़िज़ा बदल जायेगी II3II
देश के अन्दर और बहार घाती,पापी पनप रहे I
तेरी कमजोरी के कारण आज तुझी पर अकड़ रहे I
आज बजाय नहीं इन्हें तो देश की पुंगी बज जायेगी II4II
चालक एक नापाक दूसरा बाकी सब है पिछलग्गू I
आतंकवाद दुनिया में बांटे दूर बैठ हँसता ठंग्गू I
तू अभी समझ जा वर्ना इनकी तुझे करतूत रुला देगी II5II
मैच दिखता जिसे बिठा कर वो शांति वार्ता क्या जाने I
दूध पिलाओ रोज सर्प को बिना डंसे वो ना माने I
नजर हटाते ही तेरी गर्दन पर तलवार लटक जायेगी II6II
उठ ललकार खड़ा हो जा, सब शानों-शौकत मिट जायेगी I
अस्मिता देश की मिट जायेगी,यदि नीद तुझे अब आयेगी II

नोट : क्रिकेट विश्व कप २०११, ३० मार्च को मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री यूसुफ़ रजा गिलानी को मैच देखने का निमंत्रण दिया था पाकिस्तान २९ रनों से मैच हर गया था I

वी.पी.सिंह
१३.४.२०११

Sunday, June 12, 2011

-: मेरा देश महान:-

देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II
सुबह सो कर उठे खाट से खबर मिले है भरी
गैर डकैती बलात्कार कर अबला चार मारी
आफिस के एक चपरासी ने घोटाला किया भरी
रेल गाड़ी से बस टकरा गई मर गई बीस सवारी
हा- हाकार मचा चारो ओर है मेरा देश महान II1II
देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II
भाई का दुश्मन भाई है यहाँ ये कैसी नादानी
कही गधे पीते है बीयर कही नहीं है पानी
सन्तरी-मंत्री नेता अफसर कर रहे सब मनमानी
दूध की जगह यह बच्चो को मिलता है अब पानी
चीनी,मिर्च, मसाला, तेल अब नहीं मिले आसान II2II
देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II
खालिस्तान की मांग करी पंजाब हो गया खली
बोरोलैंड कभी झारखंड की मांग उठे यहाँ भरी
अगनि,गोली कांड कही पर बम्ब फटे यहाँ भरी
देश की जानती नेताओ ने महगाई से मारी
हे भारत माँ के देश द्रोही अब अपनी छोड़ो आन II3II
देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II
जातिवाद कभी आरक्षण पर होती रोज लड़ाई
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों की होती रोज तुडाई
मानवता को छोड़ यहाँ मरते आपस में भाई
गुंडे ओर बेईमान यहाँ करते है खूब कमाई
गरीब,शरीफ ,कमजोर आदमी कहलाता बेईमान II4II
देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II
जनसँख्या और बेरोजगारी रोजाना बढ़ जाती
पिलैग,पोलिओ, ड्राप्सी, एड्स की बीमारी यहाँ पाती
सरकार देश की जनता को करके घोटाले खाती
भूकंप,अंधी,बाढ़ यहाँ हर वर्ष तबहा कर जाती
आज यहाँ पर सस्ती मिलती है लोगो की जान II5II
देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II
आतंकवाद हर जगह यहाँ रोजाना बढता जाता
निर्दोषों को गोली से सरेआम उड़ाया जाता
भारत में अब औरत को सरेआम जलाया जाता
रिश्वत लेकर दोषी को सरेआम बचाया जाता
वी. पी.सिंह कहें भाईओ तुम क्यों बने हुए नादान II6II
देश हमारा सबसे न्यारा प्यारा हिंदुस्तान I
रिश्वत लूट, डकैती हो रही फिर भी देश महान II

वी.पी. सिंह
26.01.1999