शीश झुका कर मांगू माँ ,मेरे स्वप्न करो साकार
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
दुखियो के दुःख दर्द मिटाती,छंदो से आनंद दिलाती
मैय्या मेरी कविता में भरो दो,वीणा की झंकार II1II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
ऐसे छंद बने सुखदायी ,दूर करे जो पीर परायी
छंद-बंद सब सक्षम हो माँ,करने को श्रंगार II2II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
जो भी लिखू चाहता हूं माँ,कलम ना बिकने पाये
मन विचलित हो सके ना मेरा, चाहे खुशियाँ मिले अपार II3II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
मैय्या तुझको 'सिंह' पुकारे,आकर कंठ विराजो
भेट करे तुम्हे कलम पुष्प से, गुंथे हुए सब हार II4II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
शीश झुका कर मांगू माँ ,मेरे स्वप्न करो साकार
वीं.पी.सिंह
दि. 23/04/2015