Thursday, April 23, 2015

------:माँ सरस्वती वंदना:-----


शीश झुका कर मांगू माँ ,मेरे स्वप्न करो साकार 
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार 
दुखियो के दुःख दर्द मिटाती,छंदो से आनंद दिलाती 
मैय्या मेरी कविता में भरो दो,वीणा की झंकार II1II 
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
ऐसे छंद बने सुखदायी ,दूर करे जो पीर परायी
छंद-बंद सब सक्षम हो माँ,करने को श्रंगार II2II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
जो भी लिखू चाहता हूं माँ,कलम ना बिकने पाये
मन विचलित हो सके ना मेरा, चाहे खुशियाँ मिले अपार II3II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
मैय्या तुझको 'सिंह' पुकारे,आकर कंठ विराजो
भेट करे तुम्हे कलम पुष्प से, गुंथे हुए सब हार II4II
पाऊँ तुम्हारा प्यार मैं ,मैय्या पाऊँ तुम्हारा प्यार
शीश झुका कर मांगू माँ ,मेरे स्वप्न करो साकार
वीं.पी.सिंह
दि. 23/04/2015

Thursday, April 16, 2015

------मैं नारी हूँ-----


मै नारी हूँ इस दुनिया की,मैं ताकत इस भूमण्डल की
मैं मानवता की जननी हूँ,मैं सुन्दर रूप विधाता की
मै पार समुन्दर कर जाऊ,मै लहरो से टकरा जाऊ
इतनी कमजोर मै बनी नही,जो तूफा से ही डर जाऊ
जीवन के सब तूफा से,मुझे पार उतरना आता है
यदि हूँ चट्टान के जैसी मै,पर मुझे पिघलना आता है
मै नारी हूँ,------------------------------------------
मेरे दिल में ममता भरी हुई,मै ही मूरत हूँ ममता की
एक आग का दरिया अन्दर है,मत परीक्षा लो मेरी क्षमता की
हाथों की चंद लकीरों के,मुझे लेख बदलने आते है
कितने ही वेद पुराण यहां,नारी की महिमां गाते है
मै नारी हूँ,--------------------------------------------
दुर्गा,सीता,सरस्वती तो काली का,रूप छिपा मुझ में
माता,बहन,बेटी तो संगिनी का,अनुराग भरा मुझ में
जब भी मेरी पड़ी जरुरत,वही तत्काल खड़ी हूँ मैं
जब कभी मान पर आन पड़ी, तो ले तलवार लड़ी हूँ मैं
मै नारी हूँ,--------------------------------------------
शिक्षा,खेल,कला तो क्या,राजनीति में उतरी हूँ
सुंदरता की चमक दिखा,ताज भी वहाँ मैं जीती हूँ
जल,थल,गगन कि बात,ही क्या अंतरिक्ष में उतरी हूँ
अपना बल कौशल दिखला,एवेरेस्ट भी जीती हूँ
मै नारी हूँ,---------------------------------------
ममता ने पैरो में मेरे,कभी अपनी बेड़ियां डाली है
कही बिखर न जाये नीड़ मेरा, सब वे शाखाये बचानी है
थक जाओगे देकर गम तुम ,मैं सहते हुए न थकती हूँ
सब सुन कर भी चुप रहा जाती,'सिंह' यह न समझ हारी हूँ मैं
मै नारी हूँ,---------------------------------------------
वी.पी.सिंह
E-mail: vpsingh65@gmail.com
Mob.99 71 22 40 23

Wednesday, April 15, 2015

--:केजरी को मिली टोपी एक:--


केजरी को मिली टोपी एक 
टोपी का था रंग सफ़ेद
टोपी उनकी झाड़ू छाप
करे नहीं अब किसी को माफ़ 
देख उसे मन में मुस्काया 
सिर के ऊपर उसे सजाया 
पहन के टोपी बन गया राजा 
आज बजाया सब का बाजा 
बैठ गये दिल्ली की डाल 
लगे मिलाने सुर से ताल 
देख के आयी बिल्ली तीन 
केजरी से लें टोपी छीन 
रख दी थोड़ी दूर में रोटी 
केजरी की नहीं नियत खोटी 
रोटी देख ना टोपी भूला 
बना लिया जनता को झूला 
टोपी को ना गिरने दूंगा 
बिल्लियों की कमर में झाड़ू दूंगा 
टोपी में रोटी मैं लाया 
बिल्लियों को कुछ गुस्सा आया 
पर तीनों हो गये छू-मंतर 
झाड़ू ने मारा काला मंतर 
खड़े हँसे अब केजरी भाई 
खड़ी रोये लोमड़ी माई 
दशको से उसने रोटी खाई 
ना रोटी ना मिले मलाई 
जनता तुमने खूब रुलाई
काली खूब करी कमाई  
झाड़ू से अब करू सफाई ।।

V.P.Singh'Nidar'





-:राजनीति के अंधे समझें कैसे कष्ट किसानों का : -

                                                                                         
                                                                                                          वीं.पी.सिंह         
राजनीति के अंधे समझें कैसे कष्ट किसानों का !
हम गांव-गांव में पैदल जाकर,जानें दर्द किसानों का !
जुड़ा हमारा जीवन गहरा ,भोजन के रखवालों से
किसी हाल में साथ छोड़ें,देंगे साथ किसानों का !
इन्द्र देव  की पूजा करके, भूख मिटायें मानव की 
लाला और दलाल समझें,क्या है कष्ट किसानों का !
यदि आभारी नहीं रहेंगे,मेहनत कश इंसानो के    
मूल्य समझ पायेगे कैसे,इन बिखरे अरमानों का !
आओ इनके के संग बैठे,दुःख और दर्द समझने को  
सारा देश समझना चाहे, कष्ट कीमती जानों का !
'वीं.पी.सिंह' आज रोता है,मरते देख किसानो को 
कौन हिसाब देगा इनकी ,बेस कीमती जानो का !
                                                                                                वीं.पी.सिंह 


-----------:बिन बेटी ये जग बेकल है:----------

                                                             
                                                         
बिन बेटी ये जग बेकल है, बेटी है तो कल उज्वल है,
बेटी से संसार सुनहरा, बिन बेटी क्या पाओगे..?
 बेटी नयनों की ज्योति है,कल के सपनों की मोती है,
 शक्तिस्वरूपा बिना आप किस द्वारे दीप जलाओगे..?
 शांति-क्रांति-समृद्धि-वृद्धि-श्री सिद्धि सभी कुछ है उनसे,
उनसे नजर चुराओगे तो किसका मान बढ़ाओगे...?
 सहगल-रफ़ी-किशोर-मुकेश ,मन्ना डे के दीवानों !
बेटी नहीं बचाओगे तो लता कहां से लाओगे....?
सारे खान,जॉन, बच्चन और रजनीकांत,ऋतिक रोशन,
रानी, सोनाक्षी, विध्या,ऐश्वर्या ,करीना कहां से लाओगे..?
अब भी जागो, सुर में रागो, भारत मां की संतानों !
बिन बेटी के, बेटे वालों, किससे ब्याह रचाओगे...?
बहन होगी, तिलक होगा, किसके वीर कहलाओगे...?
 सिर आंचल की छाव होगी,’सिंहमां का दूध लजाओगे।

वीं.पी.सिंह 'निडर"

Mob.+91-8510059789/9971224023