Thursday, December 8, 2011

मै तुमसे प्रीत लगा बैठा

*****मै तुमसे प्रीत लगा बैठा *****
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मै तुमको मीत बना बैठा, मै तुमसे प्रीत लगा बैठा I
तू चाहे चंचलता कहले, तू चाहे दुर्बलता कहले,
दिल ने ज्यो मजबूर किया, मै तुमसे प्रीत लगा बैठा II
यह प्यार दीये का तेल नहीं,दो-चार दिनों का खेल नहीं,
यह तो तलवार की धरा है,कोई गुडियो का ये खेल नहीं,
मैंने जो भी कोई रेखा खीची ,तेरी तस्वीर बना बैठा II
मै चातक हू तू बदल है, मै दीपक हू तू काजल है ,
मै आंसू हू तू आँचल है, मै प्यासा तू गगा जल है,
जिसने मेरा पता पूछा, मै तेरा पता बता बैठा II
सारा मय खाना घूम गया, प्याले-प्याले को चूम गया,
तूने जब घुघट खोला, मै बिना पीये ही झूम गया ,
मुझ को जब भी होश हुआ, मै तेरा अलख लगा बैठा II

तू चाहे दीवाना कह ले, तू चाहे मस्ताना कह ले,
तू चाहे पागलपन कह ले, तू चाहे नव सृजन कह ले,
मै बेगाना दीवाना हू, जो तुमसे चाहत लगा बैठा II
चाहत पर कोई जोर नहीं, दिल में तू है,कोई और नहीं ,
सब दिल दरवाजे बंद रखे, आँखों के रस्ते समां बैठा,
मै तुमसे प्रीत लगा बैठा, मै तुमको मीत बना बैठा II
एक दर्द मुझे है सता रहा, दिन-रात मुंझे ये रुला रहा,
एक प्रेमी दीवाना तेरा, आ जाओ तुम को बुला रहा ,
वी.पी. सिंह अपने दिल को, तेरे हाथो लुटा बैठा II
मै तुमसे प्रीत लगा बैठा, मै तुमको मीत बना बैठा II

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