
वीं.पी.सिंह
राजनीति
के अंधे समझें कैसे कष्ट किसानों का !
हम गांव-गांव में
पैदल जाकर,जानें
दर्द किसानों का
!
जुड़ा हमारा
जीवन गहरा ,भोजन
के रखवालों से
किसी हाल
में साथ न
छोड़ें,देंगे साथ
किसानों का !
इन्द्र देव
की पूजा करके,
भूख मिटायें मानव
की
लाला और दलाल समझें,क्या है
कष्ट किसानों का
!
यदि आभारी
नहीं रहेंगे,मेहनत
कश इंसानो के
मूल्य समझ पायेगे
कैसे,इन बिखरे
अरमानों का !
आओ इनके के संग
बैठे,दुःख और
दर्द समझने को
सारा देश समझना
चाहे, कष्ट कीमती
जानों का !
'वीं.पी.सिंह' आज रोता
है,मरते देख
किसानो को
कौन हिसाब
देगा इनकी ,बेस
कीमती जानो का
!
वीं.पी.सिंह
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