Thursday, April 16, 2015

------मैं नारी हूँ-----


मै नारी हूँ इस दुनिया की,मैं ताकत इस भूमण्डल की
मैं मानवता की जननी हूँ,मैं सुन्दर रूप विधाता की
मै पार समुन्दर कर जाऊ,मै लहरो से टकरा जाऊ
इतनी कमजोर मै बनी नही,जो तूफा से ही डर जाऊ
जीवन के सब तूफा से,मुझे पार उतरना आता है
यदि हूँ चट्टान के जैसी मै,पर मुझे पिघलना आता है
मै नारी हूँ,------------------------------------------
मेरे दिल में ममता भरी हुई,मै ही मूरत हूँ ममता की
एक आग का दरिया अन्दर है,मत परीक्षा लो मेरी क्षमता की
हाथों की चंद लकीरों के,मुझे लेख बदलने आते है
कितने ही वेद पुराण यहां,नारी की महिमां गाते है
मै नारी हूँ,--------------------------------------------
दुर्गा,सीता,सरस्वती तो काली का,रूप छिपा मुझ में
माता,बहन,बेटी तो संगिनी का,अनुराग भरा मुझ में
जब भी मेरी पड़ी जरुरत,वही तत्काल खड़ी हूँ मैं
जब कभी मान पर आन पड़ी, तो ले तलवार लड़ी हूँ मैं
मै नारी हूँ,--------------------------------------------
शिक्षा,खेल,कला तो क्या,राजनीति में उतरी हूँ
सुंदरता की चमक दिखा,ताज भी वहाँ मैं जीती हूँ
जल,थल,गगन कि बात,ही क्या अंतरिक्ष में उतरी हूँ
अपना बल कौशल दिखला,एवेरेस्ट भी जीती हूँ
मै नारी हूँ,---------------------------------------
ममता ने पैरो में मेरे,कभी अपनी बेड़ियां डाली है
कही बिखर न जाये नीड़ मेरा, सब वे शाखाये बचानी है
थक जाओगे देकर गम तुम ,मैं सहते हुए न थकती हूँ
सब सुन कर भी चुप रहा जाती,'सिंह' यह न समझ हारी हूँ मैं
मै नारी हूँ,---------------------------------------------
वी.पी.सिंह
E-mail: vpsingh65@gmail.com
Mob.99 71 22 40 23

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