Wednesday, April 15, 2015

--:केजरी को मिली टोपी एक:--


केजरी को मिली टोपी एक 
टोपी का था रंग सफ़ेद
टोपी उनकी झाड़ू छाप
करे नहीं अब किसी को माफ़ 
देख उसे मन में मुस्काया 
सिर के ऊपर उसे सजाया 
पहन के टोपी बन गया राजा 
आज बजाया सब का बाजा 
बैठ गये दिल्ली की डाल 
लगे मिलाने सुर से ताल 
देख के आयी बिल्ली तीन 
केजरी से लें टोपी छीन 
रख दी थोड़ी दूर में रोटी 
केजरी की नहीं नियत खोटी 
रोटी देख ना टोपी भूला 
बना लिया जनता को झूला 
टोपी को ना गिरने दूंगा 
बिल्लियों की कमर में झाड़ू दूंगा 
टोपी में रोटी मैं लाया 
बिल्लियों को कुछ गुस्सा आया 
पर तीनों हो गये छू-मंतर 
झाड़ू ने मारा काला मंतर 
खड़े हँसे अब केजरी भाई 
खड़ी रोये लोमड़ी माई 
दशको से उसने रोटी खाई 
ना रोटी ना मिले मलाई 
जनता तुमने खूब रुलाई
काली खूब करी कमाई  
झाड़ू से अब करू सफाई ।।

V.P.Singh'Nidar'





No comments:

Post a Comment