Monday, June 13, 2011

-:एक गजल उनके नाम:-

वही बाते,वही यादे,वही बादल,वही खुश्बू यहाँ I
एक अरसे से न कोई हादसा गुजरा यहाँ I
अपनी यादो की विरासत अपने जो दी मुंझे ,
है न मर्जी के मुताबिक एक भी लम्हा यहाँ I
रोशनी को रात भर बैचैन रहने दो जरा ,
एक घयल चाँद का कुछ खून है बिखरा यहाँ I
उड़ रहा है जख्म इस फूल से उस फूल तक ,
सनसनी फैला रहा है दर्द का भवर यहाँ I
आप की इच्छाओ की हो तरक्की रात-दिन ,
हर प्रशंसक है शुरू से ही अजी बहरा यहाँ I
वी.पी.सिंह को अपने गम की है नहीं परवाह जरा,
जी रहा हर एक इंसा जख्मो का मारा यहाँ I
v.p.singh
2.2.1980
शेर:-
किसी की आस पर जीने में क्या रखा है I
किसी को दर्दे दिल सुनाने में क्या रखा है II
आदत सी पद गई है उदास रहने की,
वर्ना उदास रहने में क्या रखा है II

शेर:-
मौत का गम नहीं मुंझे गम है तू मेरे घर नहीं है I
तेरी अँगोस में ज़ा निकले ऐसा मेरे मुकद्दर नहीं है I
कुछ तो आंसू निचोड़ दो अपने हुस्न मिल जाये लाश को मेरी,
डाल दो खूने अंचल का टुकड़ा मेरी मय्यत पर चादर नहीं है I

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