Monday, February 18, 2013

जेल भरे क्यूँ बैठे हैं हम



जेल भरे क्यूँ बैठे हैं हम, आदमखोर दरिंदों से
भारत माँ का दिल घायल है, जिनकेगोरखधंधों से
घाटी में आतंकवाद के, कारक सिद्ध हुए हैं जो
बच्चों की मुस्कानों के, संहारक सिद्ध हुए हैं जो
उन जहरीले नागो को,भी दूध पिलाती है दिल्ली
मेहमानों जैसी बिरयानी-मटनख
िलाती है दिल्ली
आज समय है उत्तर,देना ही होगा सिंहासन को
चीरहरण की कौन इजाजत, देता है दुशाशन को
जिनकी जहरीली साँसों, में आतंकों की आँधी है
उनको जिन्दा रखने में, दिल्ली असली अपराधी है
जब पूरा जीवन पीड़ा के, दामनमें ढल जाता है
तब सारा राजतन्त्र ,अगनि में जल जाता है
जिस दिन भूख बगावत वाली, सीमा पर आ जाती है
उस दिन भूखी जनता क्रोध में,शासन को खा जाती है
राजमुकुट पहने बैठे हैं, बर्बरता के अपराधी
ये दुश्मन भारत माँ के खाते ना रोटी आधी
हम ऐसे ताजों को अपनी ठोकर से ठुकरायेंगे
बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे
                        जय हिंद   V.P.Singh

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