ओ दिल्ली के सिंहासन
अपनी गरिमा को याद करो
नहीं किसी के आगे जग में अब जाकर फ़रियाद करो
ख़ाक पाक को कर सकते थे उसकी ही चिंगारी से
पर भारत ही सुलग रहा है तेरी इस लाचारी से ....
शीश झुकाए पड़ी हुई है भारत की तलवार कहीं
अर्जुन के गांडीव की अब घायल है टंकार कहीं
भगत सिंह का आज कहीं बलिदान सिसकता दिख रहा
चन्द्र शेखर की पिस्टल का बारूद बिखरता दिख रहा
नहीं किसी के आगे जग में अब जाकर फ़रियाद करो
ख़ाक पाक को कर सकते थे उसकी ही चिंगारी से
पर भारत ही सुलग रहा है तेरी इस लाचारी से ....
शीश झुकाए पड़ी हुई है भारत की तलवार कहीं
अर्जुन के गांडीव की अब घायल है टंकार कहीं
भगत सिंह का आज कहीं बलिदान सिसकता दिख रहा
चन्द्र शेखर की पिस्टल का बारूद बिखरता दिख रहा
8 जनवरी 13 को मेढ़र
में जुल्म गुजार दिए
दो जवानो के दुश्मन ने धड से शीश उतर
दिए
काश कि हम यह इतिहासों का दर्द बाँट कर ला पाते ...
दो बेटों के सर के बदले बीस काट कर ला पाते
काश कि हम यह इतिहासों का दर्द बाँट कर ला पाते ...
दो बेटों के सर के बदले बीस काट कर ला पाते
ओ दिल्ली के राजा अब तुम लाचारी का त्याग करो
दुश्मन के सीने पर अब तुमएक नहीं सौ वार करो
जय हिंद V.P.Singh
जय हिंद V.P.Singh
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