Monday, February 6, 2012

आंबेडकर,सुभाष,पटेल मांगता आज है देश : वी.पी.सिंह

घनघोर अंधकार है फिर उजाला मांगता है आज देश I
उजड़े हुए मौसम में फिर बसंत मांगता है आज देश II
वीरों की कुर्बानियो का हिसाब मांगता है आज देश I
एक बार फिर आंबेडकर,सुभाष,पटेल मांगता है आज देश I1I
कुछ काले पन्ने जोड़े गये है आजादी के बाद से I
आज देश को सजा रहे है विदेशी नीति व मान से II
पूछता हू क्यों सुभाष का पता अभी तक नहीं चला I
क्या कहू कैसे कहू क्या सरकारों की ये नहीं खता I2I
सालो पहले एका-एक वो सुभाष कहां पर खो गये I
आज देश के लाखो महारथी करवट ले क्यों सो रहे II
मानों या न मानों तुम इस फर्क साजिश भूल में I
कोई गहरा राज छिपा है आज समय की धुल में I3I
गाँधी का वह मंत्र अहिंसा रोता हुआ अब लग रहा I
भारत का यह लोकतंत्र सोता हुआ अब चल रहा II
उन वीरों की कुर्बानियो पर आप क्यू अब मौन है I
आज खुदकशी करने वाले बोलो यहां अब कौन है I4I
आज खांदी की ये आंधी अभी हमे नहीं चाहिए I
दस और बीस बरस तक गाँधी अभी नहीं चाहिए II
खोये हुए शेरों को फिर से मांगता है आज देश I
एक बार फिर आंबेडकर,सुभाष,पटेल मांगता है आज देश I5I


वी.पी.सिंह
Feb.06.2012

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